कोरोना के कहर से मानव जीवन पर संकट ! - रजनीश डिमरी की रिपोर्ट

कोरोना : आज सम्पूर्ण विश्व में चारों तरफ हाहाकार मचा रही इस महामारी ने ना जाने कितनों का जीवन हर लिया, सम्पूर्ण सृष्टि मानों इस अप्रत्याशित महामारी के आगे विवश हो गई है। सभी मानव निर्मित संसाधन मानों आज विफल हो गए हैं। कैसा विकट रूप ले लिया इसने, जहां देखो वहां एक भय ने सभी को जड़ कर दिया है।
विकास के पहियों को मानों विराम सा लग गया है।
लेकिन इस महामारी के पीछे छिपे तथ्य से शायद ही कोई अनजान होगा, प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है ये, एक अभिशाप की तरह मानव सभ्यता को त्रासदी की ओर ले जाती इस बीमारी का क्या समाधान होगा ये कोई भी नहीं जानता!
मजदूर वर्ग के लिए भी ये महामारी किसी अभिशाप से कम नहीं, अपने घरों को लौटते हुए इन मजदूरों की पीड़ा भी कुछ कम नहीं।लॉकडाउन में अपने घर की ओर ना जाने कितने ही बेबस मजदूरों को भी इस महामारी रूपी दानव ने नहीं बख्शा, रोजी रोटी का ये संघर्ष अब धीरे धीरे माध्यम वर्ग को भी अपनी चपेट में ले रहा है। हमारे देश का मध्यम वर्ग जिसके लिए ना तो कोई योजना सरकार के पास पहले रही ना ही अभी है। जब- जब इस तरह की विपत्तियां आयी हैं सबसे ज्यादा मार मध्यम वर्ग को ही झेलनी पड़ी है। त्रासदी के इस दौर में ना जाने आगे और क्या क्या देखना बाकी है, विश्व की समस्त महाशक्तियों का इस तरह बेबस होना भी यही संकेत दे रहा है। यदि वक़्त रहते हम खुद नहीं संभल पाए तो प्रकृति ऐसी ही ना जाने कितनी विपदाएं लाएगी, हमने हमारी लालसा ओर इच्छाओं की पूर्ति के लिए जो खिलवाड़ प्रकृति के साथ किया है उसका परिणाम भुगतने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।
विकास की दौड़ में आगे बढ़ने के लिए जो विनाश का रास्ता हमने अपनाया है उसे अब रोक देना चाहिए! इन कुछ दिनों में ही हमें पता चल गया है की जीवन के लिए विलासिता नहीं अपितु जीवन की शैली में सुधार अत्यंत जरूरी है, कोरोना ने हमें इतना तो सिखला ही दिया है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चलने में ही मानव जाती की भलाई है, वरना दुष्परिणाम के लिए भी हम ही उत्तरदायी रहेंगे।              रजनीश डिमरी
रविग्राम जोशीमठ चमोली उत्तराखण्ड