उर्गमघाटी के बहादुर राम ने हस्तशिल्प कला को बनाया रोजगार का आधार - रघुबीर नेगी की रिपोर्ट

पहाड़ में हस्तशिल्प की अपार संभावनाएं हैं, बस जरूरत है तो सरकारों को इच्छा शक्ति दिखाने की। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही पलायन को भी रोका जा सकता है। उर्गमघाटी के बहादुर राम रिंगाल लघु उद्योग के जरिए बचपन से ही अपनी आजीविका कर रहे हैैं। बहादुर राम ने 17 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता और ताऊ जी से रिंगाल की कलाकारी सीखी और अपने पिता की इस पुश्तैनी व्यवसाय को आज भी संजो रहे हैैं। जबकि इस समय वे उम्र के 66 वें पड़ाव पर पहुँच चुके हैं पर अपने हाथों से विभिन्न प्रकार के टोकरियाँ, गुलदस्ते, सुप्पा,छाबड़ा,कंडियां समेत विभिन्न प्रकार के उत्पाद बना देते हैं। अब तक विभिन्न मेलों में अपने रिंगाल लघु उद्योग की प्रदर्शनी भी लगा चुके है इससे ही अपनी आजीविका चला रहे हैैं। सरकार रिंगाल करीगरों की मदद करे तो इस लघु उद्योग को पंख लग सकते हैं और कई लोगों को रोजगार से प्रशिक्षण के जरिए स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है। इनके द्वारा अब तक सरस मेला देहरादून, पर्यावरण मेला जोशीमठ, बंड विकास मेला पीपलकोटी समेत विभिन्न मेलों में अपनी प्रदर्शनी व स्टॉल लगा चुके हैं।