विषय-गलत फहमी
विधा-स्वतंत्र
रिश्तों के ताने बाने,
बुनता रहा यूं ही।
कभी मैं रिश्तों को समझा नही,
कभी रिश्ते मुझे समझे नही।।
फासलों ने बढ़ा दी दूरियां,
नासमझ मैं था नही।
वक़्त वक़्त की बात है,
वक़्त ने दूरियां बढ़ा दी।।
वो दूर था मुझसे,
मैं भी दूर था उससे।
सिलसिला मुलाकातों का,
रुक गया यूं ही।।
गलत फहमी हो गयी,
रिश्तों की चमक खो गयी।
जो अजीज थे कभी,
वो गैर हो गए अभी।।
मनोज तिवारी,,निशान्त,,