गोमुख से अवतरित होकर अविरल बहती जाती है, हिम शिखरों से निकली मैया मां गंगा कहलाती है - शशि देवली


💐जय गंगा मैया💐
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गोमुख से अवतरित होकर
अविरल बहती जाती है
हिमशिखरों से निकली मैया
मां गंगा कहलाती है।


गंगोत्री धाम मन्दिर तेरा
नित - नित पूजी जाती है
पापों को हरने वाली तू
मोक्षदायिनी बन जाती है।


राजा भगीरथ के तप से
तू धरती पर आई मां
जब थाम न सका कोई तेरा तांडव
शिव शंकर की जटा में समाई मां।


शरण में तेरी जो कोई आता
तू अपार प्रेम लुटाती है
तेरी कृपा से बंजर धरती भी
उपजाऊ हो जाती है।


अमीर गरीब का भेद न करती
विश्व धरोहर मानी जाती है
सर्वकाल और सर्वलोकों में
तू ही पूजी जाती है।


अमर तेरी कहानी है
मां तू ही जीवनदायिनी है
अमृत सी निर्मल धारा और
तू ही पाप विनाशिनी है।


हे जगदेश्वरी! मैं अज्ञान 'शशि'
तेरी महिमा का क्या गुणगान करूं
साक्षात स्वरूप मां भगवती
तुझे शत् - शत् बार प्रणाम करूं।



शशि देवली
गोपेश्वर चमोली
उत्तराखण्ड