कितना आकर्षक लोक लुभावन, ये शशि नाम है ही पावन पावन - आचार्य सुभाष चन्द्र नौटियाल

शशि नाम है पावन पावन 
*******



कितना आकर्षक लोक लुभावन ,
ये शशि नाम है ही पावन पावन  ||


हर माँ की ममता भी तुम हो 
हर कवि की उपमा भी तुम हो | 
हर रूपवति का रूप भी तुम हो 
महारास का पूर्णेन्दु भी तुम हो 
||


कितना आकर्षक लोक लुभावन 
ये शशि नाम है ही पावन पावन ||


कोई पूर्णिमा पूजे ,  कोई ईद को खोजे 
रसिक रचना शोधे ,  निन्दक तुमको कोशे | 
सागर सहित नक्षत्रादी सारे तारागण 
हो तुम इन सबके अति प्रिय भाजन || 


कितना आकर्षक लोक लुभावन ,
ये शशि नाम है ही पावन पावन [|


हे अंबुनिधि  ! , हे इन्दुमति  ! 
हे विदुषि   !  , हे शशि सुनो  !   | 
रसिक पाठक की यही पुकार अक्षर ब्रह्म को करो साकार       ||
 
कितना आकर्षक लोक लुभावन  ,
ये शशि नाम है ही पावन पावन   ||


हैं अभिलषित कुछ शब्द शक्तियां 
जो बनना चाहती तव रचनाधार  |
तुम्हें देना चाहती कुछ उपहार 
पर पहले करो तुम इन्हें साकार  ||


कितना आकर्षक लोक लुभावन , 
ये शशि नाम है ही पावन पावन  ||


 निराकार ब्रह्म होंगे साकार 
न भुला पायेंगें तेरा उपकार   | 
जब रसिक जन होंगें मनभावन 
तब शशि नाम होगा पावन पावन  ||
कितना आकर्षक लोक लुभावन , 
ये शशि नाम है ही पावन पावन  ||

आचार्य सुभाष चन्द्र नौटियाल