सब्जी और दुग्ध उत्पादन से आत्मनिर्भर बना मठ गांव - संजय कुंवर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

सब्जी और दुग्ध उत्पादन से आत्मनिर्भर बना मठ गांव - चमोली जिले का एक ऐसा गांव है जहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय सब्जी और दुग्ध उत्पादन है। इसी से यहां के लोग आत्मनिर्भर बने हैं। गांव के प्रत्येक परिवार द्वारा आज भी जैविक खेती से सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। साथ ही लोगों द्वारा दुग्ध उत्पादन किया जाता है।    दशोली ब्लॉक का मठ गांव बदरीनाथ हाईवे पीपलकोटी से 5 किमी की दूरी पर स्थित है। गांव में पानी की कोई कमी नहीं है गांव चारों ओर से पानी की जल धाराओं से गिरा हुआ है। इसी का परिणाम है कि मठ गांव के लोग छह दशक से सब्जी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं। चमोली जिले में मठ गांव को प्याज मंडी के रूप में भी जाना जाता है। मठ गांव में जिले में सबसे ज्यादा मात्रा में प्याज का उत्पादन किया जाता है।


यहां प्रतिवर्ष 30 से 40 टन प्याज का उत्पादन किया जाता है। पहले बाजार ना होने के चलते लोगों को प्याज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था, लेकिन विगत 10 सालों से लोगों को प्याज का उचित मूल्य मिलने से लोगों का मनोबल बढ़ा है और प्याज की खेती से लोग लाखों रुपया कमा रहे हैं।प्याज का मूल्य कुछ वर्षों से 20 से 30 रुपया प्रति किलो बिक जाता है। मठ गांव का ब्याज दशोली ब्लॉक के साथ ही बंद पट्टी और पैनखंडा जोशीमठ के लोग आज भी ले जाते हैं।


मठ गांव में पानी की अधिकता के चलते प्रत्येक परिवार द्वारा प्याज की खेती की जाती है। गांव में आज भी वर्ष भर सब्जी का उत्पादन किया जाता है जिसके चलते लोगों को बाजार की सब्जी पर  आश्रित नहीं रहना पड़ता है। जैविक खेती के लिए प्रसिद्ध मठ गांव में आज भी प्याज के अतिरिक्त 2 दर्जन से अधिक सब्जियों का उत्पादन किया जाता है।


जिसमें आलू, टमाटर,बैगन, पालक, राई, गौबी, बिन्स, मूली, मटर, करेला, कद्दू, भिन्डी,तोरिया ,लोंकी,चचेंडा, शिमला मिर्च, धनिया, लहसून, हल्दी, ककड़ी, खीरा इस तरह लगभग सभी सब्जियों का उत्पादन किया जाता है। सब्जी और दुग्ध उत्पादन यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय है।


यहां का बड़ा अधिकारी से लेकर आम आदमी अपनी खेती से जुड़ा हुआ है जिसके चलते गांव से किसी ने भी पलायन नहीं किया है। सब्जी और दुग्ध उत्पादन ने इस गांव में सेना में अफसर, डाक्टर, इंजीनियर, वकील, पत्रकार सहित अन्य अधिकारी दिए हैं। सब्जी और दुग्ध उत्पादन ही गांव के लोगों की आर्थिक की रीढ़ है। गांव में लगभग 70 परिवार रहता है। यहां के 90 फीसद लोगों का मुख्य व्यवसाय सब्जी और दुग्ध उत्पादन है।  


वर्ष 1995 के लगभग गांव में सरकारी दुग्ध डेयरी खुली इसके बाद लोगों का ध्यान दुग्ध व्यवसाय की ओर बढ़ गया। क्योंकि दुग्ध से हर महीने लोगों की आजीविका हो रही थी। इसके बाद धीरे धीरे सभी परिवारों ने गाय पालन पर जोर दिया और आज हर परिवार के घर में गाय पाली जाती है। मठ गांव से एक से डेढ़ कुंतल दूध आज भी प्रतिदिन डेरी में जाता है। दुग्ध  व्यवसाय  गांव की आर्थिकी को मजबूत किया है। मठ गांव के काश्तकार हरीश नेगी ने बताया कि उनके द्वारा इस वर्ष दो खेत गोभी, एक खेत मटर, दो खेत आलू, एक खेत प्याज और लहसुन बोया गया था। जिससे उन्हें 30 - 40 हजार की सब्जी बेची गई। गांव के काश्तकार डब्बल सिंह, हुक्कम सिंह, गुमान सिंह, श्रीधर सिंह, कुंवर सिंह, नारायण सिंह, प्रेम सिंह के द्वारा 15 टन से अधिक प्याज का उत्पादन किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा गांव में दूध और सब्जी के लिए उचित बाजार तैयार किया जाए तो लोगों द्वारा और अधिक उत्पादन किया जा सकता है।