सपने तो बहुत देखे मैंने तेरे साथ रहने के, पर अपनी बंधिश से मैं हर-पल जकडा रहता हूँ - नवीन गौड़(रिंकेश)

(प्रेमीका)



कैसे लिखूँ , तुझे शब्दों में। 
 कैसे तुझे बयाँ करूँ।
अविरल, अभिलाषा है तेरी।
कैसे प्रेम का रस पान करूँ।
 मन में तेरा ही चिन्तन। 
हर पल तेरा ही ध्यान । 
कैसे लिखूँ मैं शब्दों में,जीवन तेरे नाम।
तेरे सुन्दर स्वरुप पे,जब भी शब्द पिरोता हूँ।
मन में मन के भाव से हर- पल तुझे सजाता हूँ। 
बेजान सी ज़िन्दगी में, जान तब आती है। 
 जब कागज के टुकड़ों पर,
 तेरे साथ अपना नाम पाता हूँ।
सपने तो बहुत देखे मैंने, तेरे साथ रहने के। 
 पर अपनी बंधिश से मैं हर-पल जकडा रहता हूँ। 
कैसे लिखूँ शब्दों में, कैसे तुझे बयाँ करूँ। 
                                   
         


         नवीन गौड़(रिंकेश)
           नन्दा धाम( कुरूड)
              घाट (चमोली)