आया वसंत ज्यूँ ही अनन्त, त्यूँ ही छाया कोरोना घनन्त - आचार्य सुभाष चंद्र नौटियाल

ऋतुराज वसंत 
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चिडिया चहकी , खुशबू महकी 
प्रात सूर्य की  , किरणें  दहकी  |
आया  वसंत  ज्यूँ ही अनन्त 
त्यूँ  ही छाया , कोरोना घनन्त  ||



घर में रहना , कहीं  न  जाना 
बन्द करो अब , बाहर खाना  |
औरॊं को भी , नियम बताना
 रगड़ रगड़ कर साबुन लगाना  ||


मोनी बनकर  , भोजन  करना 
चबा चबा कर , अन्दर करना  |  स्वाद पर तुम ध्यान न देना 
अरे चुपचाप , खाते जाना || 


बचने का है यही बहाना 
कोरोना को यूँ ही भटकाना |
वो ढूँढ सके ,अब न तराना 
तभी समजना  , जीता  जाना  ||



आचार्य सुभाष चंद्र नौटियाल
(कलम क्रांति साहित्यिक मंच
गोपेश्वर) उत्तराखंड