ऊखीमठ! माता - पिता का साथ बचपन में छूटने के कारण बाल्यावस्था की परिविश चाचा - चाची ने की, शादी होने के बाद दो जून की रोटी की तलाश में पलायन करने को हुए मजबूर, जीवन में खुशियाँ लौटते ही बीमारी ने छीना सुख चैन।वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण लौटना पड़ा गाँव, दूसरे की मकान पर सिर छिपाने को हुए विवश, अब आगे जीवन कैसे यापन होगा सब कुछ तेरे अधीन जीवनदात।
यह दु:ख भरी कहानी है क्यूजा घाटी के अखोडी गाँव निवासी 44 वर्षीय कुंवर सिंह की।अखोडी गाँव निवासी कुंवर सिंह के माता - पिता का निधन बचपन में होने के कारण उनका लालन - पालन चाचा - चाची ने की। लगभग 18 वर्ष पूर्व कुंवर सिंह की शादी सुनीता देवी से हुई तो कुंवर सिंह की जीवनयापन करने की उम्मीदे बढ़ती गयी। माता - पिता का पौराणिक मकान खण्डहर में तब्दील होने के कारण कुंवर सिंह दो जून रोटी की तलाश व भविष्य में सिर छिपाने के लिए मकान बनाने की उम्मीदों को लेकर पत्नी सहित फरीदाबाद चले गये तो समय रहते कुंवर सिंह का पुत्र सचिन व पुत्री स्वाति ने घर में जन्म लिया तो दोनों पति - पत्नी की आशाओं की किरण फिर जगी कि आज दो वक्त की रोटी नसीब होने के साथ ही परमात्मा ने परिवार की खुशियाँ लौटा दी है। आज से लगभग 7 वर्ष पूर्व परिवार के अरमान तब बिखर गये जब कुंवर सिंह की रीढ़ की हड्डी में परेशानी आने लगी! कुंवर सिंह के इलाज पर लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी कोई सुधार नही हुआ तथा परिवार ने जिन अरमानों से कुछ पैंसे बचाकर रखे थे तो वे सब इलाज पर खर्च होने से परिवार के सन्मुख दो जून रोटी का संकट खड़ा होने लगा! परिवार किसी प्रकार दो जून की रोटी कमा कर जिन्दगी की गुजर - बसर कर ही रहा था कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुए लॉक डाउन से परिवार के सन्मुख दु:खों का पहाड़ खड़ा होने के साथ ही जिंदगी के अरमान धरे के धरे रह गये। लॉक डाउन के दो माह फरीदाबाद में गुजारने के बाद परिवार को अपने पैत्रिक गाँव लौटना पड़ा! गाँव लौटने के बाद कुंवर सिंह का इलाज भी रुक गया साथ ही परिवार ने दूसरों की मकान पर आसरा ले रखा है! दु:ख भरे लिहाज में कुंवर सिंह कहता है कि विधाता ने मुझे कदम - कदम पर ठोकरें दी है। उनकी पत्नी सुनीता देवी कहती है कि पति की बीमारी व लॉक डाउन ने हमारे अरमानों पर पानी फेर दिया है।14 वर्षीय पुत्र सचिन व 12 वर्षीय पुत्री स्वाति भी मासूम भरे शब्दों में कहती हैं कि अंकल बारीश होते ही छत से पानी गिरने लगता है! क्यूजा घाटी के सामाजिक कार्यकर्ता कुंवर सिंह नेगी ने बताया कि परिवार के सन्मुख विपदाओं का पहाड़ होने से गाँव के लोग मदद कर रहे हैं ! उन्होंने बताया कि शासन - प्रशासन या सामाजिक संगठन इस परिवार की मदद करते है तो परिवार की समस्याएं कुछ कम हो सकती है! गौरव कठैत का कहना है कि इस प्रकार के परिवारों की मदद करना हर एक का मानवीय धर्म है।