दिनांक-08.07.2020
विषय- चलें गाँव की ओर
काफल,बुराँश,बाँज के जंगल,
देते तन-मन को बहुत सुकून।
मिले आँखों को शीतल भोर,
आओ ! कुछ दिन चलें गाँव की ओर।
वादियों में रह,जी लो कुछ पल,
बुलाती है चखुली,न्योली,कलजौंठ
मीठे स्वरों में मचाती हुई शोर,
आओ! कुछ दिन चलें गाँव की ओर।
हरे-भरे फसलों से लहराते हुए खेत,
पकती बालियों की खुशबू से महकाती।
मस्त पवन हर गली व हर इक छोर,
आओ!कुछ दिन चलें गाँव की ओर।
मिट्टी की सौंधी सी सुगंध में,
बसते हैं अपनो के जान जहान।
देख प्रेम माटी से,मन होता भाव-विभोर,
आओ!कुछ दिन चलें गाँव की ओर।
सुंदर ध्वनि कर पर्वत से गिरते,
बहते हैं निर्मल दूध से झरने।
देख दृश्य नाचे मन का मोर,
आओ! कुछ दिन चलें गाँव की ओर।
स्वरचित
ज्योति बिष्ट'जिज्ञासा'
गोपेश्वर चमोली उत्तराखंड