भूस्खलन का ट्रीटमेंट न होने से जग्गी बगवान गांवों को खतरा - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

ऊखीमठ : विकासखंड ऊखीमठ की ग्राम पंचायत जग्गी बगवान के निचले हिस्से में वर्ष 1998 से हो रहे भूधसाव का ट्रीटमेंट न होने से ग्रामीणों को 22 वर्षों से खतरा बना हुआ है। बरसात के समय भूस्खलन का हिस्सा लगातार घसने से जी आई सी राऊलैक में अध्ययनरत नौनिहालों  के साथ ही ग्रामीणों को जान - जोखिम में आवाजाही करने पड़ती है। भविष्य में बरसात के समय भूधसाव वाले भूभाग का मलवा एक साथ मधुगंगा में गिरता है तो मधुगंगा में झील बनने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि मधुगंगा में झील बनती है मदमहेश्वर घाटी के कई गांवों को खतरा बन सकता है। बता दें कि 28 अगस्त 1998 को कालीमठ व मदमहेश्वर घाटियों में बादल फटने से 105 लोग तथा 500 से अधिक मवेशी जिन्दा दफन हो गये थे! मदमहेश्वर घाटी के बुरुवा भेटी में भारी मलवा आने के कारण मधुगंगा गंगा में लगभग चार किमी परिधि की झील बनने से श्रीनगर तक हाई अलर्ट किया गया था। 


दोनों घाटियों में कई स्थानों पर भूधसाव होने के कारण जग्गी बगवान गाँव के निचले हिस्से में लगभग 200 मीटर चौड़ा तथा 700 मीटर लम्बाई हिस्से में भूधसाव शुरू हो गया था जो कि आज भी निरन्तर जारी है। 22 वर्षों बाद भी जग्गी बगवान गाँव के निचले हिस्से में हो रहे भूधसाव का टीट्मेट न होने से बरसात के समय गाँव को खतरा बना रहता है। जानकारी देते हुए पूर्व प्रमुख फते सिह रावत ने बताया कि बरसात के समय प्रति वर्ष गाँव के निचले हिस्से में भूधसाव होने से जग्गी बगवान - राऊलैक पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से जी आई सी राऊलैक में अध्ययनरत नौनिहालों सहित ग्रामीणों को जान हथेली पर रखकर आवाजाही करने पड़ती है। प्रधान जग्गी बगवान प्रदीप राणा ने बताया कि जग्गी बगवान के निचले हिस्से में वर्ष 1998 से लगातार भूधसाव हो रहा है जो कि प्रत्येक बरसात में जारी रहने से बरसात के समय ग्रामीणों की रातों की नींद उड़ जाती है। क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रदीप राणा ने बताया कि प्रत्येक बरसात में जग्गी बगवान - राऊलैक पैदल मार्ग के क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रति वर्ष पैदल मार्ग के मरम्मत पर लाखों रुपये व्यय हो चुके हैं मगर आज तक मधुगंगा के किनारे चैकडेमों व सुरक्षा दीवालों का निर्माण न होने से ग्रामीण अपने को अपेक्षित महसूस करते हैं। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि यदि किसी बरसात में जग्गी बगवान के निचले हिस्से भूधसाव वाला मलवा एक साथ मधुगंगा गंगा में गिरता है तो मधुगंगा गंगा में झील बनने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है यदि मधुगंगा गंगा में मलवा आने के कारण झील बनती है तो मदमहेश्वर घाटी के कई गावों तथा उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम की निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना को खतरा उत्पन्न हो सकता है।