ऊखीमठ : वन विभाग अगस्त्यमुनि रूद्रप्रयाग द्वारा तुंगनाथ घाटी में मंगलवार देर रात को कुछ ढाबों को क्षति पहुंचाने पर तुंगनाथ घाटी के व्यापारियों में शासन - प्रशासन व वन विभाग के प्रति आक्रोश बना हुआ है, जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है! बाहरी पूंजीपतियों के अतिक्रमण को हटाने के लिए वन विभाग क्यों पीछे हट रहा है यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है! बता दें कि तुंगनाथ घाटी के विभिन्न यात्रा पड़ावों पर स्थानीय युवा विगत कई वर्षों से होटल, ढाबों व टैन्टों का संचालन कर आत्मनिर्भर बने हुए हैं तथा स्थानीय युवाओं की आड़ में बाहरी पूजिपतियो ने तुंगनाथ घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों में अवैध अतिक्रमण कर सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुंदरता गायब कर दी है। विगत 15 दिसम्बर को वन विभाग द्वारा चार दर्जन से अधिक व्यापारियों को नोटिस काट कर 10 दिनों के अन्दर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए थे मगर वन विभाग द्वारा 10 दिन से पूर्व ही मंगलवार देर रात को तुंगनाथ घाटी में कुछ ढाबों को क्षति पहुंचाने से स्थानीय व्यापारियों में शासन - प्रशासन व वन विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है।
वन विभाग द्वारा तुंगनाथ घाटी में ढाबों को हटाने पर व्यवसायियों में आक्रोश - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि वन विभाग को यदि कार्यवाही करने ही थी तो 25 दिसम्बर के बाद होटल, ढाबों व टैन्टों को हटाने की कार्रवाई करनी चाहिए थी। स्थानीय व्यापारियों का आरोप है कि शासन - प्रशासन व वन विभाग की शह पर ही बाहरी पूंजीपतियों ने तुंगनाथ घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों में अवैध अतिक्रमण कर रखा तथा वन विभाग बाहरी पूंजीपतियों के अतिक्रमण को हटाने में क्यों कतरा रहा है यह बात समझ से परे है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि शासन - प्रशासन व वन विभाग द्वारा विगत तीन वर्षों से छोटे व्यापारियों को परेशान कर उनकी रोजी - रोटी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि एक तरफ केन्द्र व प्रदेश सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का वादा कर रही है वहीं दूसरी तरफ शासन - प्रशासन की शह पर वन विभाग द्वारा छोटे व्यापारियों को विगत तीन वर्षों से परेशान किया जा रहा है। तुंगनाथ घाटी के व्यापारियों का कहना है कि हम न्यायालय के फैसले व तुंगनाथ घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता को यथावत रखने के फैसले का स्वागत करते है मगर प्रदेश सरकार व वन विभाग को स्थानीय युवाओं के जीवनयापन के लिए भी ठोस निर्णय लेना होगा।व्यापारियों का कहना है कि यदि वन विभाग को अतिक्रमण हटाना ही है तो एक किनारे से अतिक्रमण हटना चाहिए। स्थानीय व्यापारी सतीश मैठाणी, प्रदीप बजवाल, मोहन प्रसाद मैठाणी का कहना है कि वन विभाग को ई डी सी का गठन कर सभी होटलों, ढाबों व टैन्टों के संचालन के लिए गाइडलाइन जारी करनी चाहिए जिससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिल सके, प्रदेश सरकार के राजस्व में इजाफा हो सके तथा स्थानीय व्यापारियों का रोजगार भी यथावत रह सके।