बीते साल की कुछ यादें,
मीठी कम खट्टी ज्यादा रही,
महामारी का असर इस कदर,
क़ई जाने ज़िंदगी से हारी।।
कभी वायरस से हारी,
कभी रोजगार पर भारी,
घरों मैं सिमटी जिंदगी,
वायरस ने दूरी बढ़ाई।।
एक अनदेखी ताकत ,
मानवता पर भारी,
घरों मैं कैद रहकर,
सामाजिक दूरी बनाई।।
वर्ष की कड़वी यादों को,
दिल से भुलाए कैसे,
अपने अपनो से बिछड़े,
सबकी आंखे भर आयी।।
वैक्सीन की इंतजारी ने,
उमीदों की लौ जलाई।
हमारी बेबसी लाचारी,
मनुजता पर रही भारी।
अलविदा साल 2020,
लोगो पर बहुत भारी,
स्वागत नव वर्ष का,
ख़ुशियों की सौग़ात लाये।।
मनोज तिवारी,,निशान्त,,