ऊखीमठ : मिनी स्वीजरलैण्ड के नाम से विश्व विख्यात चोपता के सुरम्य मखमली बुग्यालों से अवैध अतिक्रमण हटाना प्रशासन व वन विभाग के लिए चुनौती बन गयी है। यदि समय रहते तुंगनाथ घाटी के विभिन्न यात्रा पड़ावों पर हुए अवैध अतिक्रमण को नहीं हटाया गया तो सुरम्य मखमली बुग्यालों का अस्तित्व समाप्त होने के साथ ही स्थानीय पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। भले ही कुछ दिनों पूर्व वन विभाग ने तीन ढाबों को तोड़कर इतिश्री तो कर दी है मगर शेष बुग्यालों से अवैध अतिक्रमण कब हटेगा यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। जिला प्रशासन भले ही ई डी सी के गठन का आश्वासन स्थानीय व्यापारियों व बेरोजगारों को देता आ रहा है मगर स्थानीय युवाओं के भविष्य को देखते हुए कब ई डी सी का गठन होगा यह भविष्य के गर्भ में है।
बता दें कि तुंगनाथ घाटी के आंचल में बसे चोपता सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों को मिनी स्वीजरलैण्ड के नाम से जाना जाता है। तथा तुंगनाथ घाटी के पग - पग को प्रकृति ने नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया व संवारा है इसलिए प्रति वर्ष लाखों सैलानी तुंगनाथ घाटी पहुँच कर प्रकृति के अनूठे वैभवों से रुबरु होकर अपने को धन्य महसूस करते हैैं। विगत 7-8 वर्षों से स्थानीय युवाओं की आड़ में बाहरी पूजीपतियो ने तुंगनाथ घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों में अवैध अतिक्रमण कर होटलों, ढाबो व टैन्टो का संचालन करने से बुग्यालों की सुंदरता धीरे - धीरे गायब होती जा रही है! लगभग तीन वर्ष पूर्व जिला प्रशासन ने तुंगनाथ घाटी से एक सप्ताह के अन्तर्गत अवैध अतिक्रमण हटाने का फरमान जारी किया था। जिससे कुछ लोगों ने बुग्यालों में हुए अवैध अतिक्रमण तो हटा दिया था। मगर बाहरी पूंजीपतियों को अतिक्रमण यथावत रहने से जिला प्रशासन व वन विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी थी। विगत दिनों वन विभाग ने लगभग चार दर्जन से अधिक व्यापारियों को नोटिस थमा कर बुग्यालों में हुए अतिक्रमण को हटाने का निर्देश जारी करने के साथ ही 22 दिसम्बर को तीन ढाबों को भारी नुकसान पहुंचाया था, मगर दो सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी अन्य अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही न होने से वन विभाग की कथनी व करनी में जमीन - आसमान का फर्क स्पस्ट झलक रहा है! यदि समय रहते तुंगनाथ घाटी के विभिन्न सुरम्य मखमली बुग्यालों से अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो बुग्यालों की सुन्दरता गायब होने के साथ ही स्थानीय पर्यटन व्यवसाय प्रभावित होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। भले ही जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय बेरोजगार युवाओं के हित को देखते हुए ई डी सी के गठन का आश्वासन तो दिया गया था मगर आज ई डी सी का गठन न होने से दशकों से तुंगनाथ घाटी में व्यवसाय कर रहे व्यापारी अपने को ठगा महसूस कर रहे है।
[5:53 PM, 1/12/2021] Santosh Singh: चोपता से अतिक्रमण हटाना प्रशासन व वन विभाग के लिए बना चुनौती - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ